मेरे पास
बहुत सी बातें हैं
जो मैं ने,,, ज़िंदगी से कशीद कीं
चाहे अच्छी हो या बुरी
बात ,,,सुनाने के लिए होती है
और मैं ने ऐसा ,,,,नहीं,,, किया
बात
ज़िंदगी की अमानत है
जिसे लौटाना पड़ता है
मैं बातों को पट्टे बाँध कर
जमा करता रहा....
बातों का बाड़ा
वसीअ ' होता चला गया
और मेरा सुरूर भी ....
एक रोज़
एक बात, मुझ पर भौंकती है
मेरा ख़ुमार टूटता है
मैं
चौंक कर देखता हूँ
एक के बाद ....दूसरी
और दूसरी के बाद ...तीसरी
वो सब
मुझ पर भौंकने लगती हैं
मैं
उन्हें चुमकारता हूँ
मगर ,,,,बे-सूद....
शोर से मेरा दिमाग़ भर जाता है
मुझे
कुछ भी नहीं सूझता
और मैं भी
भौंकना शुरू कर देता हूँ ......
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Meaning:
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कशीद = सारभूत / ज़िन्दगी के तजुर्बों से हासिल
सुरूर = joy , pleasure
चुमकारता = प्यार से बहलाकर चुप करवाने की कोशिश करना
वसीअ ' = फ़ैलता चला गया
बे-सूद = useless, कोई फायदा नहीं हुआ
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कशीद = सारभूत / ज़िन्दगी के तजुर्बों से हासिल
सुरूर = joy , pleasure
चुमकारता = प्यार से बहलाकर चुप करवाने की कोशिश करना
वसीअ ' = फ़ैलता चला गया
बे-सूद = useless, कोई फायदा नहीं हुआ
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(मुस्तफ़ा अरबाब)
- January 17, 2018
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